भारत के दुश्मन अब सिर्फ सीमा पर ही नहीं हमारे बीच रहकर भी साजिशें रच रहे हैं। पंजाब के अमृतसर से एक चौंकाने वाला खुलासा हुआ है कि दो ऐसे जासूस पकड़े गए हैं जो भारतीय सेना की खुफ़िया जानकारी पाकिस्तान को भेज रहे थे। क्या यह सिर्फ एक जासूसी मामला है या इसके पीछे कोई बड़ी साजिश छुपी हुई है? पंजाब पुलिस ने भंडाफोड़ किया कि सेना की छावनियों और एयरबेस की तस्वीरें आईएसआई तक कैसे पहुंची? कौन है हरप्रीत उर्फ पिटू जो जेल में रहते हुए भी भारत के खिलाफ षड्यंत्र रच रहा है?
3 मई 2025 को अमृतसर ग्रामीण पुलिस ने एक गुप्त अभियान चलाकर दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया। पलक शेर मसीह और सूरज मसीह। यह दोनों युवक अमृतसर के सैन्य क्षेत्रों की तस्वीरें खींचकर पाकिस्तान भेज रहे थे। उनके मोबाइल फोन से कई संवेदनशील तस्वीरें बरामद हुई हैं। पुलिस के मुताबिक यह लोग भारतीय सेना की गतिविधियों, वाहनों की आवाजाही, बैरकों और एयरबेस की लोकेशन जैसी जानकारी सीधे पाकिस्तान में मौजूद आईएसआई एजेंटों तक पहुंचा रहे थे। जांच में सामने आया है कि इन दोनों जासूसों का संपर्क पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई से हरप्रीत सिंह उर्फ पिटू के माध्यम से हुआ। हरप्रीत उर्फ हैप्पी इस समय अमृतसर सेंट्रल जेल में बंद है। लेकिन जेल के भीतर से ही वह पाकिस्तान के एजेंटों के लिए नेटवर्क चला रहा था।
पुलिस को शक है कि जेल के भीतर से मोबाइल फोन और सोशल मीडिया के जरिए वह अपने नेटवर्क को ऑन ऑपरेट कर रहा था। पलक और सूरज को बेहद साधारण दिखने वाले लोग समझा जा रहा था। लेकिन उन्होंने भारतीय सेना के खिलाफ जो किया वह सीधा देशद्रोह है। इनके पास से भारतीय सेना की छावनियों की स्पष्ट तस्वीरें, एयरबेस की क्लोज अप शॉट्स और वीडियो फुटेज बरामद हुए हैं।
आईएसआई को भेजी गई जानकारी में सुरक्षा कैमरों के स्थान, बाढ़ की स्थिति और सैनिकों की गश्त तक की डिटेल थी। यह डाटा भविष्य में संभावित आतंकी हमलों के लिए बेहद खतरनाक हो सकता था। यह दोनों आरोपी बेहद चालाकी से डाटा भेजते थे। WhatsApp, Telegram और सिग्नल जैसे एनक्रिप्टेड एप्स का इस्तेमाल कर आईएसआई एजेंटों से संपर्क करते थे।
इन्हें जानकारी देने के बदले में डॉलर और गिफ्ट्स के रूप में पेमेंट मिलती थी। हरप्रीत उर्फ पिट्टू ने इन्हें पहले सेना की गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भर्ती किया और फिर पूरी जासूसी मिशन में शामिल कर लिया। इस मामले पर पंजाब के डीजीपी ने ट्वीट कर बताया कि यह एक बड़ा जासूसी रैकेट है और जांच एजेंसियों को सतर्क कर दिया गया है। सेना की ओर से भी साफ कहा गया है कि देश की सुरक्षा से खिलवाड़ करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। गृह मंत्रालय ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए एनआईए को जांच में शामिल किया है। यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने भारत के भीतर अपने जासूसों को एक्टिव किया हो। पिछले कुछ वर्षों में रेलवे स्टेशनों, डिफेंस कैंप्स और यहां तक कि डीआरडीओ तक को टारगेट किया गया।
आईएसआई अक्सर आर्थिक रूप से कमजोर या भोले लोगो को फंसाकर भारत में अपने जासूसी नेटवर्क को मजबूत करता है। पिछले साल ही राजस्थान में एक सैन्यकर्मी को भी आईएसआई को जानकारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। सवाल यह भी है कि क्या होनी चाहिए सजा? दरअसल जब देश की सुरक्षा से खिलवाड़ होता है तो सिर्फ गिरफ्तारी से काम नहीं चलता। ऐसे गद्दारों को उदाहरण बनाकर सख्त सजा देनी चाहिए।
अगर यह तस्वीरें और जानकारी पाकिस्तान पहुंच जाती तो कई सैनिकों की जान खतरे में पड़ सकती थी। भारत को अब जरूरत है और मजबूत साइबर निगरानी की ताकि ऐसे दुश्मन भारत के भीतर ही हमारे सशस्त्र बलों को नुकसान ना पहुंचा सकें। खैर, यह मामला सिर्फ दो लोगों की गिरफ्तारी का नहीं बल्कि एक बहुत बड़े खतरे का संकेत है। देश के दुश्मन अब सिर्फ सीमा पर नहीं, हमारे शहरों में, हमारे मोबाइल फोन पर और हमारी आंखों के सामने मौजूद हैं। जरूरत है जागरूक रहने की और ऐसे किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की। भारत को कमजोर समझने की भूल अब बहुत महंगी पड़ेगी और अब समय आ गया है कि देशद्रोहियों को उनकी सही जगह दिखाई जाए।