मध्य प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के लिए तबादले नीति में क्या है खास, जानिए सब कुछ

मध्य प्रदेश में सबसे बड़ी खबर है कि आज से तबादलों पर लगी रोक हट गई है। अगले 30 दिनों तक तबादलों पर से यह रोक हटी रहेगी और मध्य प्रदेश के जितने भी विभाग हैं उनमें प्रथम, द्वितीय और तृतीय श्रेणी के कर्मचारियों का तबादला किया जा सकेगा। करीब 3 साल के बाद यह नई तबादला नीति लागू हुई है। जिसमें मंत्री प्रभारी मंत्री यानी जिले के जो मंत्री होंगे वह भी इसमें हस्तक्षेप कर सकेंगे। उनके प्रभाव क्षेत्र में रहेगा। अधिकार क्षेत्र में भी तबादले आएंगे और उनकी अनुशंसा पर भी तबादले अधिकारियों और कर्मचारियों के किए जा सकेंगे।

यह नई तबादला नीति है जिसे बीते मंगलवार को मोहन यादव कैबिनेट ने मंजूरी दी थी। लेकिन आज हम आपको बताने वाले हैं कि क्यों इस तबादला नीति की चर्चा इतनी हो रही है और इस तबादला नीति में इस बार ऐसा क्या खास रहने वाला है जिसकी वजह से मध्य प्रदेश सरकार का दावा है कि उसके अधीन काम करने वाले शासकीय कर्मचारियों की दक्षता बढ़ेगी और जनता के प्रति सरकार की जवाबदेही बढ़ेगी। 

दरअसल इस तबादले के पीछे एक बड़ा ही जटिल गणित अपनाया गया है। गणित इस तरीके से है कि जिस विभाग में जितने कम अधिकारी या कर्मचारी होंगे उस विभाग में उतने ही ज्यादा अधिकारियों और कर्मचारियों का तबादला होगा। उदाहरण के लिए बताएं तो जिस विभाग में 200 कर्मचारी काम करते हैं तो वहां पे 20% अधिकारी और कर्मचारी इस तबादला नीति के अंतर्गत आएंगे और उनका तबादला हो सकेगा। वहीं दूसरी तरफ अगर हम बात करें जिस विभाग में 1000 तक कर्मचारी और अधिकारी होंगे उसमें 15% तबादलों का प्रतिशत रहेगा। यानी वहां के 15% शासकीय कर्मचारी और अधिकारियों को इधर से उधर किया जा सकेगा। इसके अलावा अगर देखा जाए तो जिन विभागों में 2000 तक कर्मचारी अधिकारी मौजूद हैं उसमें तबादलों का प्रतिशत 10% रहेगा। तो वहीं 2001 से ज्यादा कर्मचारी अधिकारी जिस विभाग में है उसमें महज 5% अधिकारी और कर्मचारियों का तबादला किया जा सकेगा। 

यह गणित इसलिए अपनाया गया है इस बार ताकि जो संख्या बल है वह बहुत ज्यादा डिफर ना करे। बहुत ज्यादा ऐसा ना हो कि जिस एक ही विभाग में तबादले ज्यादा हो गए। बाकी विभाग में स्थिति जो है वो यथास्थिति बनी रही। वहां बहुत ज्यादा तबादले नहीं हुए। इसलिए जिस विभाग में कम कर्मचारी हैं वहां ज्यादा लोग तबादले करवा सकेंगे। जिस विभाग में ज्यादा कर्मचारी हैं वहां पर कम लोगों का कम प्रतिशत जो है तबादलों का रखा गया है ताकि जो संतुलन है वह बना रहे।

स्वैच्छिक तबादलों का समावेश यह बात हम इसलिए कर रहे हैं क्योंकि इन तबादलों में कई स्वैच्छिक तबादले होंगे। यानी कोई अधिकारी कर्मचारी यदि अपने गृह जिले जाना चाहता है या अपनी पसंद की जगह तबादला लेना चाहता है तो बकायदा वो जो उस विभाग के मंत्री हो या फिर जिले के प्रभारी मंत्री हो उनके यहां अनुशंसा कर सकता है और इसके लिए यह जो स्वैच्छिक तबादले हैं इसको कुल तबादलों के प्रतिशत में ही शामिल किया गया है। 

यानी जिस विभाग में 200 कर्मचारी हैं वहां 20% कर्मचारी अधिकारियों का तबादला होगा। उसी 20% में ही यह स्वैच्छिक तबादले भी शामिल होंगे। इनको अलग से जगह नहीं दी जाएगी उन्हीं 20% कर्मचारियों में यानी जिस विभाग में जितना प्रतिशत बांटा गया है तबादलों का पूरा गणित उस विभाग में उसी हिसाब से उतने ही प्रतिशत के अंदर स्वैच्छिक तबादलों का जो है वह प्रतिशत रहेगा और यह इसलिए किया गया है ताकि तबादलों की कुल संख्या जो है वह नियंत्रण में रहे।

सरकार का दावा है कि इससे प्रशासनिक दक्षता बढ़ेगी। कर्मचारियों को कार्यस्थलों पर जल्दी नियुक्ति मिलेगी क्योंकि यहां पे यह भी नियम रखा गया है कि यदि 15 दिनों के भीतर आपने जहां नई जॉइनिंग हुई है आपकी पोस्टिंग दी गई है। अगर वहां पर आपने काम शुरू नहीं किया वहां पर पदभार ग्रहण नहीं किया तो आप पर निलंबन की कारवाई भी हो सकती है। मंत्री और प्रभारी मंत्री तबादलों की सीधी प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। इससे जवाबदेही तय होगी और सवाल जवाब किए जा सकेंगे। 1 मई से शुरू हो गया। यानी आज से 30 जून दिन तक यह लगातार तबादलों की प्रक्रिया चलेगी।

सबसे बड़ी बात यह है कि इनमें से ज्यादातर जो तबादले होने हैं, जो ट्रांसफर होने हैं, वो ई ऑफिस सिस्टम के तहत होंगे। यानी जिसको भी तबादला लेना है, अब वो जो पहले चिट्ठियां चलती थी, पर्चियां चलती थी, वैसे नहीं होगा। आधिकारिक जो लेटर हेड होता था उसे बकायदा आपको अपलोड करना होगा। ऑनलाइन ऑनलाइन अपलोड करना होगा और उसी ऑनलाइन पोर्टल पर ही विभाग के मंत्री हो या फिर जिले के प्रभारी मंत्री हो उनके अप्रूवल के बाद ही तबादले की यह फाइल आगे बढ़ सकेगी। 

वैसे तो मध्य प्रदेश के मंत्रालय में ज्यादातर विभागों में ई ऑफिस सिस्टम हो चुका है। लेकिन अभी भी कुछ विभाग ऐसे हैं जहां पे ऑफलाइन तरीके से काम होता है। उन्हें अगर छोड़ दें तो बाकी जगहों पर यह ट्रांसफर ऑनलाइन तरीके से होंगे। उन्हें पोर्टल पर अपलोड करना होगा और इसके बाद मंत्रियों और प्रभारी मंत्रियों को यह अधिकार दिया गया है कि वह तबादले कर सकेंगे। लेकिन इन सबके बीच में जो सबसे बड़ी बात है वो यह कि आखिरकार इस तबादला नीति पे कर्मचारियों और अधिकारियों को समझने की सबसे ज्यादा क्या जरूरत है? इसमें कई सारे मुद्दे आते हैं जिनमें बार-बार बातें होती हैं।

मध्य प्रदेश में अगर देखा जाए तो करीब 7 लाख से ज्यादा शासकीय कर्मचारी और अधिकारी हैं जो मध्य प्रदेश सरकार के अंतर्गत काम करते हैं और उन्हीं को ध्यान में रखते हुए जो यह तबादला नीति है जिसे नाम दिया गया है ट्रांसफर पॉलिसी 2025 इसे बनाया गया है। जो नियमित कर्मचारी हैं वह तो करीब 66000 के आसपास है मध्य प्रदेश में। इसके अलावा कई आउटसोर्सिंग के भी कई सारे हैं। लेकिन यह जो तबादला नीति लागू होने वाली है, यह ऐसी ही करीब नियमित कर्मचारियों पे है जो करीब 6 लाख से ज्यादा संख्या में इस वक्त मध्य प्रदेश सरकार के अंतर्गत काम कर रहे हैं। 

सबसे बड़ी बात है कि ट्रांसफर पॉलिसी से क्या फायदा होने वाला है। हर साल कुछ दिनों के लिए जो है तबादले हटा हटाए जाते हैं मध्य प्रदेश सरकार में। यह हमने पहले भी देखा है। यह नियम होता है कि तकरीबन 30 दिनों का समय दिया जाता है। अमूमन जो दूसरा या तीसरा महीना होता है नए वित्तीय वर्ष का उसी समय इन तबादलों को हटाया जाता है। क्योंकि माना जाता है कि उस समय गर्मियों की छुट्टियां होती हैं और शासकीय कर्मचारी अगर एक जगह से दूसरी जगह जाएंगे तो उनके परिवार को इससे बहुत ज्यादा मुश्किलात का सामना नहीं करना पड़ा होगा। कई ऐसे होते हैं जिनके बच्चों की छुट्टियां होती है। नई जगह जाएंगे वहां पे बच्चों के एडमिशन की भी प्रक्रिया पूरी करनी होती है और ऐसे में इसलिए जाहिर तौर पर नए वित्तीय वर्ष के मई या जून के महीने में ही ज्यादातर तबादला नीति मध्य प्रदेश सरकार लेकर के आती है।

इसमें सभी वर्गों के अधिकारियों और कर्मचारियों के ट्रांसफर किए जाते हैं। जो कि प्रथम श्रेणी के कर्मचारी अधिकारी हो, द्वितीय श्रेणी के हो या तृतीय श्रेणी के हो। इनको अपने गृह जिले या पसंद के जिलों में तबादले करवाने का अधिकार दिया जाता है और यह साल में सिर्फ एक ही बार होता है। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारियों के लिए इस बार नई ट्रांसफर पॉलिसी में रखा गया है कि इन्हें पूरे साल की ये मोहलत रहेगी कि यह पूरे साल कभी भी ट्रांसफर करवा सकते हैं। हालांकि इनका प्रतिशत ना के बराबर होता है।

प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी के शासकीय कर्मचारी जो अपने घर से गृह जिले से बहुत दूर दूर-दूर के इलाकों में है। मतलब अगर कोई भोपाल का रहने वाला है और अगर उसका उसकी पोस्टिंग अभी सिंगौली में है या रीवा में है तो वो आवेदन दे सकता है कि वो अपने गृह जिले भोपाल में आना चाहता है। भोपाल या उसके आसपास के किसी जगह पे उसका ट्रांसफर कर दिया जाएगा। स्वैच्छिक तबादले भी इसी के अंतर्गत आते हैं। सभी श्रेणी के अधिकारियों कर्मचारियों के तबादले जो है इस दौरान किए जा सकेंगे। यह सिर्फ मध्य प्रदेश सरकार के जो शासकीय कर्मचारी हैं प्रथम श्रेणी, द्वितीय श्रेणी, तृतीय श्रेणी उनके ऊपर यह पॉलिसी लागू होगी। मध्य प्रदेश सरकार के यानी मध्य प्रदेश एमपीपीएससी के जरिए जो राज्य सेवा में आते हैं अधिकारी यह नियम उन पर लागू नहीं होगा। ट्रांसफर पॉलिसी मध्य प्रदेश सरकार की जो पुलिस है राज्य पुलिस सेवा यह उन पुलिस अधिकारियों पर भी ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं होगी। 

इसके अलावा आईएएस और आईपीएस जो कि सीधे-सीधे केंद्र सरकार से संबंधित है इन अधिकारियों पर भी ट्रांसफर पॉलिसी लागू नहीं होगी। कर्मचारियों और अधिकारियों को ट्रांसफर के लिए उनके विभाग की तरफ से जो आवेदन पत्र है वह ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा और उसी पे उन्हें यह आवेदन करना होगा। ज्यादातर विभाग मध्य प्रदेश के ऑनलाइन है और जाहिर सी बात है वहां पर ट्रांसफर के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा जिनमें ऑफलाइन प्रक्रिया है वहां पर हार्ड कॉपी जो है ट्रांसफर के लिए जो आवेदन दिया जाएगा उसकी होगी। यह विभागीय मंत्री और विभाग के जो प्रमुख हैं उनके यहां यह आवेदन दिए जाएंगे। उसके बाद विभागीय मंत्री हो या फिर जिले के प्रभारी मंत्री हो उनकी अनुशंसा पे तबादलों की जो अंतिम सूची है उसे तैयार किया जाएगा। 

चतुर्थ श्रेणी के जो कर्मचारी हैं, हालांकि उनका प्रतिशत बहुत कम होता है। वो साल भर अपना ट्रांसफर करवा सकते हैं और उसके लिए बहुत ज्यादा अधिकारियों की या इधर-उधर हाथ पैर मारने की जरूरत नहीं होगी। चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी है वो सीधे जो विभाग के मंत्री हैं उन्हें आवेदन दे सकेंगे और उसके बाद उनका ट्रांसफर हो जाएगा। ये ये इसलिए किया गया है क्योंकि ज्यादातर जो चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं वो बहुत ज्यादा तकनीकी रूप से सक्षम नहीं होते हैं ऑनलाइन प्रक्रिया को समझने के लिए और वो ऐसा पद होता भी नहीं है कि उसके लिए किसी कर्मचारी को बहुत ऑनलाइन जो सिस्टम है वो उपलब्ध कराया जाता हो और इसीलिए इसमें बहुत ज्यादा लोग आते भी नहीं है।

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मैं एक लेखक जो अपनी कलम से विचारों को साकार करता है। मुझे लगता है कि शब्दों में वो जादू है जो समाज को बदल सकता है, और यही मेरा मकसद है - सही बात को सही ढंग से लोगों तक पहुँचाना। मेरे लिए हर कहानी, हर विचार एक मौका है दुनिया को कुछ नया देने का।

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