यह खबर सीधे देश के आम आदमी से जुड़ी हुई है। यह खबर देश के 9 करोड़ से ज्यादा दुकानदारों से जुड़ी हुई है। अगर भारत ने अमेरिका की बात मान ली तो देश के करोड़ों दुकानदारों को सबसे बड़ा झटका लगने वाला है। आप सोच रहे होंगे यह पूरा मामला क्या है? तो बता दें अमेरिका ने भारत पर 26% टेरिफ लगाया है जिसमें 90 दिन की राहत दी गई है। लेकिन अभी दोनों देशों के ट्रेड एग्रीमेंट को लेकर बातचीत चल रही है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका चाहता है कि भारत अपने 125 अरब डॉलर के ई-कॉमर्स बाजार को Amazon और Walmart जैसी कंपनियों के लिए पूरी तरह से खोल दे।
यह बातचीत भारत और अमेरिका के बीच एक बड़े व्यापार समझौते का हिस्सा है जिसमें फूड और ऑटोमोबाइल जैसे कई क्षेत्र शामिल होंगे। अमेरिका चाहता है कि ई-कॉमर्स में सभी के लिए समान अवसर हो। बस यहीं से शुरू होती है असली कहानी जो दुकानदारों की चिंता सीधे-सीधे बढ़ाने वाली है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका भारत की 125 अरब डॉलर के ई-कॉमर्स बाजार को Amazon और Walmart जैसी दिग्गज कंपनियों के लिए पूरी तरह से खोलने का दबाव डाल रहा है। अगर ऐसा हुआ तो भारत का रिटेल बाजार, छोटे दुकानदार और Reliance जैसी कंपनियां खतरे में पड़ सकती हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आने वाले सामानों पर 26% का टेररिफ लगा दिया है। इसका मतलब है भारत के सामान अमेरिका में महंगे हो जाएंगे। लेकिन इसके साथ ही अमेरिका भारत पर दबाव डाल रहा है कि वह अपने ई-कॉमर्स बाजार को अमेरिकी कंपनियों के लिए खोल दे।
अभी भारत में नियम ऐसे हैं कि Amazon और Walmar जैसी कंपनियां सिर्फ एक मार्केट प्लेस की तरह काम कर सकती हैं। यानी वह दूसरों के सामान को अपनी वेबसाइट पर बेच सकती हैं। लेकिन खुद का सामान बनाकर या स्टॉक करके नहीं बेच सकती। दूसरी ओर Reliance जैसी भारतीय कंपनियां अपने सामान बनाकर और बेचकर बाजार में दबदबा बनाए हुए हैं। अमेरिका इसे गैर टेरिफ वादा कहता है और चाहता है कि यह नियम बदले। यह दबाव कोई नया नहीं है। साल 2006 से अमेरिका भारत के बाजार को खोलने की कोशिश कर रहा है। लेकिन हर बार नाकाम रहा। इस बार माहौल गंभीर है।
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत आकर पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात की है। दोनों देशों ने व्यापार समझौते की शर्तें तय कर ली हैं। लेकिन मीडिया रिपोर्ट्स बताती हैं कि ट्रंप की सरकार Amazon और Walmart के साथ मिलकर रणनीति बना रही है। Walmart के सीईओ डक मैकमिलन ने खुद ट्रंप से इस मुद्दे पर बात की है। भारत की ई-कॉमर्स बाजार में Reliance, Amazon और Walmart की Flipkart के बीच जबरदस्त जंग चल रही है। Reliance भारत की सबसे बड़ी रिटेल कंपनी है जिसका सीधा मुकाबला Amazon और Flipkart से है। बैंक ऑफ अमेरिका के मुताबिक Flipkart के 5 करोड़ डेली एक्टिव यूज़र्स हैं जबकि Amazon के 4 करोड़। लेकिन अगर अमेरिका के दबाव में भारत ने नियम बदल दिए तो Amazon और Flipkart को Reliance जैसी ताकत मिल जाएगी। वह अपने गोदामों में सामान रखकर सीधे बेच सकेंगे। जिससे छोटे दुकानदारों और Reliance की मुश्किलें बढ़ेंगी। Flipkart ने हाल ही में टैक्स फायदे के लिए अपना बेस सिंगापुर से भारत में शिफ्ट किया। लेकिन प्रतिकूल नियमों की वजह से उसका आईपीओ 2025-26 तक टल गया है।
इन सबके बीच सबसे बड़ा डर है 9 करोड़ छोटे दुकानदारों का। फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीण खंडेवाल ने चेतावनी दी है। अमेरिका भारत के बाजार को अपनी कंपनियों के लिए हथियाना चाहता है। उन्होंने कहा कि विदेशी निवेश ठीक है। लेकिन यह भारत के रिटेल सिस्टम को बिगाड़कर या छोटे दुकानदारों को कुचल कर नहीं होना चाहिए। अगर Amazon और Walmart को पूरा मौका मिला तो छोटे दुकानदारों का धंधा चौपट हो सकता है। लोग ऑनलाइन सस्ते सामान की तरफ भागेंगे और स्थानीय बाजार खाली हो जाएंगे। भारत और अमेरिका का व्यापार $90 अरब डॉलर का है और दोनों देश इसे $500 अरब डॉलर तक ले जाना चाहते हैं। लेकिन इस समझौते में भारत को सावधान रहना होगा। अगर हमने बाजार खोल दिया तो Reliance जैसी कंपनियां और छोटे दुकानदार मुश्किल में पड़ सकते हैं और अगर समझौता नहीं हुआ तो 26% टेरिफ भारत के निर्यात को नुकसान पहुंचाएगा। फूड, ऑटोमोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और ज्वेलरी जैसे सेक्टर्स पहले से ही दबाव में है।