OLA ELECTRIC बुरी फंसी, SEBI ने कसा शिकंजा!

Ola इलेक्ट्रिक मार्केट रेगुलेटर सेबी की रडार पर है। Ola इलेक्ट्रिक के खिलाफ सेबी ने जांच शुरू कर दी है। Ola इलेक्ट्रिक पर इंसाइडर ट्रेडिंग, आंकड़ों की हेराफेरी और नियमों के उल्लंघन के गंभीर आरोप लगे हैं। Ola इलेक्ट्रिक पर लगे आरोपों का कंपनी के शेयर और भविष्य पर क्या असर होगा? आइए इस समझते हैं।

एक निजी मीडिया हाउस में छपी खबर के मुताबिक सेबी ने Ola इलेक्ट्रिक के खिलाफ दो मामलों में जांच शुरू की है। एक मामला इंसाइडर ट्रेडिंग से जुड़ा है। अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच शेयर ट्रेडिंग में अनियमितताओं के आरोप हैं। दूसरा मामला रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन से जुड़ा है। कंपनी और उससे जुड़े लोगों के बीच हुए फाइनेंशियल डील्स पर सवाल उठ रहे हैं। इंसाइडर ट्रेडिंग से मतलब यह है कि कंपनी के अंदरूनी जानकारी के आधार पर शेयरों में फायदा कमाया है।

अगर यह आरोप साबित होते हैं, तो यह सेबी के नियम का उल्लंघन है। अब आते हैं रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन के आरोप पर। रिलेटेड पार्टी ट्रांजैक्शन वह सौदे होते हैं जो कंपनी और उससे जुड़े दूसरी संस्थाओं या व्यक्तियों के बीच होते हैं। इस तरह के सौदों की जानकारी एक्सचेंज को देना जरूरी होता है। अगर सौदों की सही जानकारी एक्सचेंज को नहीं दी गई तो यह सेबी के नियमों का उल्लंघन है।

अब बात करते हैं उस विवाद की जिसने इस पूरी जांच को और गहराया है। वाहन पोर्टल के डाटा के अनुसार फरवरी 2025 में Ola इलेक्ट्रिक ने सिर्फ 8,600 स्कूटर बेचे। जबकि कंपनी ने एक्सचेंज फाइलिंग में दावा किया कि उन्होंने 25,000 यूनिट्स बेची हैं। इसी अंतर के बाद हैवी इंडस्ट्री मंत्रालय और सड़क परिवहन मंत्रालय ने Ola इलेक्ट्रिक को नोटिस भेजे थे। मंत्रालय ने पूछा कि आखिर कंपनी के बिक्री के आंकड़ों और सरकारी रजिस्ट्रेशन के डाटा में इतना फर्क क्यों है? अगर कंपनी ने गलत जानकारी दी तो यह ना सिर्फ निवेशकों को गुमराह करने वाला मामला है बल्कि यह कानूनन भी एक गंभीर अपराध है। 

कंपनी का कहना है कि रजिस्ट्रेशन में देरी हुई क्योंकि दो वेंडर के कॉन्ट्रैक्ट खत्म हो गए थे। जिससे वाहन पर नंबर कम दिखा। सेबी भी यह जांच कर रही है कि क्या कंपनी ने निवेशकों को गुमराह किया और क्या पुराने फाइलिंग्स में भी कोई गड़बड़ी है। सेबी यह भी देख रही है क्या इन गलत खुलासों से निवेशकों को नुकसान हुआ?

एक और मामला महाराष्ट्र से जुड़ा है। महाराष्ट्र ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट ने Ola इलेक्ट्रिक के 100 से ज्यादा शोरूम्स को बंद करने का आदेश दिया है। कारण कंपनी के कई शोरूम्स बिना वैध ट्रेड सर्टिफिकेट के चल रहे थे जो मोटर व्हीकल एक्ट के तहत जरूरी है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 75 शोरूम्स पहले से ही बंद हो चुके हैं और 192 गाड़ियां जप्त की गई हैं। Ola ने स्टॉक एक्सचेंज को बताया कि उसे इस तरह के किसी आदेश की जानकारी नहीं है। लेकिन चार राज्यों में ट्रेड सर्टिफिकेट से जुड़े नोटिस जरूर मिले हैं।

इन विवादों का असर Ola इलेक्ट्रिक के शेयर पर दिखा है। बीते हफ्ते में Ola EIC का शेयर 8% टूटा है। 6 महीनों में यह शेयर 43% गिरा है। Ola इलेक्ट्रिक के शेयर का भाव लिस्टिंग प्राइस ₹76 के मुकाबले ₹48 पर आ गया है। यानी यह लिस्टिंग प्राइस से 37% नीचे है। शेयर में तेज गिरावट निवेशकों के लिए एक चेतावनी की घंटी है। ऐसे मामलों में सबसे जरूरी होता है पारदर्शिता। अगर कंपनी डाटा में गड़बड़ी करती है तो इससे ना सिर्फ कंपनी की साख को नुकसान होता है बल्कि शेयर होल्डर्स का भरोसा भी टूटता है।

Photo of author
"पत्रकारिता का मुख्य काम है, लोकहित की महत्वपूर्ण जानकारी जुटाना और उस जानकारी को संदर्भ के साथ इस तरह रखना कि हम उसका इस्तेमाल मनुष्य की स्थिति सुधारने में कर सकें।” इसी उद्देश्य के साथ मैं पिछले 10 वर्षों से पत्रकारिता के क्षेत्र में काम कर रही हूं। मुझे डिजिटल से लेकर इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का अनुभव है। मैं कॉपी राइटिंग, वेब कॉन्टेंट राइटिंग करना जानती हूं। मेरे पसंदीदा विषय दैनिक अपडेट, मनोरंजन और जीवनशैली समेत अन्य विषयों से संबंधित है।

Leave a Comment