मंदसौर के नारायणगढ़ में एक मोटरसाइकिल की कार से टक्कर हो गई थी। जिसके बाद वह कार वहीं मौजूद एक कुएं में जा गिरी। कुएं में करीब 10 लोग गिर गए। यह घटना मृतक मनोहर सिंह के घर के पास ही हुई थी। टक्कर की आवाज सुनते ही मनोहर सिंह अपने घर के बाहर आए और कुएं में गिरे लोगों को बचाने की कोशिश करने लगे। मनोहर सिंह ने चार लोगों को कुएं से बाहर भी निकाला लेकिन कुएं में जहरीली गैस लीक होने के कारण उनकी भी मौत हो गई।
मनोहर सिंह का पूरा परिवार शोक में डूबा हुआ है। अपने पिता को खोने के बाद उनके बेटों का भी रो-रो कर बुरा हाल है। अभी तक जिस पिता के साए में वह सुकून महसूस कर रहे थे, अब उनके बिना ही रहना होगा। मनोहर सिंह के बड़े बेटे ने मांग की है कि सरकार को उन दोनों भाइयों में से किसी एक को सरकारी नौकरी देनी चाहिए जिससे उनकी आर्थिक सहायता होगी।
मृतक मनोहर सिंह के बेटे जीतेन्द्र ने बताया कि “मैं मेरे मामा जी के यहां गया हुआ था और आधे घंटे बाद एक्सीडेंट हुआ और घर से फोन आया कि यहां आओ। मैं घर आया तो मेरे को सूचना मिली के इधर से एक गाड़ी आ रही थी। उधर मेन रोड से एक इको स्पोर्ट आ रही थी। तो दोनों में आपस में टक्कर हुई जो जो एक व्यक्ति से गाड़ी ले आ रहे थे उनकी स्पॉट पे ही मौत हो गई और वो वेन आगे कुएं में
गिर गई यहां आवाज आई घर पे तो पापा दौड़ के गए। उन्होंने बिना सच समझे अंदर कूद गए वो और उन्होंने चार जनों को अंदर से निकाला और गैस लीक होने के कारण वो आखरी में अंदर गिर गए और उनसे बाहर नहीं आ पाए।”
इधर हादसे की सूचना पर डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा भी मौके पर पहुंचे थे। वहीं हादसे को लेकर पीएम नरेंद्र मोदी ने भी दुख जाहिर किया है और उन्होंने प्रत्येक मृतक के परिजन को प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से 2 लाख रूपये की अनुग्रह राशि देने की बात कही है। घायलों को 50000 रूपये की सहायता राशि देने की बात कही है। तो वहीं सीएम मोहन यादव ने भी आर्थिक सहायता कोष से प्रत्येक मृतक के परिवारजनों को ₹ 2-2 लाख गंभीर रूप से घायलों को 1-1 लाख रूपये और सामान्य रूप से घायलों को 50000 रूपये की आर्थिक सहायता राशि देने के निर्देश दिए हैं।
आपको बता दें कि मंदसौर के नारायणगढ़ थाना क्षेत्र के पास इको वैन ने एक बाइक को टक्कर मारी थी और अनियंत्रित होकर इको वैन कुएं में जा गिरी थी जिसमें 12 लोग काल के गाल में समा गए थे। मरने वालों में रतलाम, उज्जैन और मंदसौर के लोग शामिल थे। सभी एक शादी समारोह से लौट रहे थे। तभी रास्ते में वैन हादसे का शिकार हो गई। मरने वालों में आठ लोग रतलाम जिले के जबकि दो-दो लोग उज्जैन और मंदसौर जिले के रहने वाले थे। सोमवार सुबह सभी मृतकों का अंतिम संस्कार अलग-अलग गांव में एक साथ किया गया तो हर कोई फफ-फक कर रो पड़ा।
रतलाम जिले के खोजनखेड़ा में छह अर्थियां एक साथ उठी तो पिपलिया और सुरजाना गांव में एक-एक शव यात्रा निकाली गई। वहीं चार अन्य लोगों के अंतिम संस्कार उज्जैन और मंदसौर में किए गए। मृतकों में वैन सवारों को बचाने के लिए कुएं में उतरे ग्रामीण मनोहर सिंह भी शामिल थे। फिलहाल इस घटना के बाद पूरे गांव में मातम पसरा हुआ है और हर किसी की आंखें नम है।