मूवी रिव्यु: फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ में कुछ नया नहीं है 

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By Paridhi Sharma

फिल्म ‘ज्वेल थीफ’ में सैफ अली खान ना तो खुद को साबित नहीं पाए और नहीं ही किरदार में जान डाल पाए । शुरुआत के आधे घंटे में ही कहानी चुराई लगती है। कहानी है अपराधी और मास्टर ज्वेल थीफ की, जो दुनिया के सबसे अनूठे अफीकी हीरे को चुराने की कोशिश करता है। प्लानिंग बिगड़ने लगती है तो फिल्म में मारधाड़ शुरू हो जाती है और कहानी उलझ जाती है।

रेहान रॉय के रोल में सैफ अली खान हैं, जो दुर्लभ लाल हीरे को चुराने में जुटे हैं। अपराधी राजन औलाख ( जयदीप अहलावत ) उनके परिवार को मारने की धमकी देता है। लेकिन कहानी में मजा तब आता है, जब रेहान का दिल राजन की पत्नी फराह ( निकिता दत्ता) पर आ जाता है।

कहानी में विक्रम पटेल (कुणाल कपूर) भी हैं, जो पुलिस टीम के साथ रेहान का पीछा कर रहा है और उसके बाद कहानी में चूहा-बिल्ली खेल शुरू हो जाता है। कहानी पुरानी लगती है लेकिन डायरेक्टर ने अच्छा ड्रामा, स्टाइलिंग, मेकअप, कॉस्टयूम इस्तेमाल किया है मगर कहानी खोखली रह गई ।

लूट की कहानी में अगर रोमांच और रहस्य न हो तो बेमजा होती है । कहानी के कुछ अनसुलझे सवाल भी है। जैसे राजन और उसकी परछाई मूसा (डोरेंद्र सिंह लोइटोंगबाम) के बीच की बैक स्टोरी क्या है रेहान की साथी निकी तनेजा (मीनल साहू) सिर्फ मदद करती है लेकिन उसकी बैकस्टोरी नहीं है। रेहान जैसे चोर का पीछा दो मामूली पुलिस वाले कर रहे हैं। फिर कहानी रफ्तार से आगे बढ़ती है और जैसे-तैसे आखरी आगे बढ़ती है और जैसे-तैसे आखरी हिस्सा पूरा करती है।

जयदीप अहलावत बेहतरीन अभिनेता है, लेकिन उनका चरित्र कमजोर है भयानक लगते हुए भी सिर्फ नाम के कातिल लगे। निकिता दत्ता सुन्दर हैं लेकिन किरदार जी नहीं पाई। एक तरफ चेहरे पर डर और दूसरी तरफ प्यार नहीं बता पाई। चोर सैफ अली खान ने किरदार को मजाक में लिया। चाहते तो कुछ कर सकते थे जैसे उन्होंने रेस में किया था लेकिन यहाँ उन्हें समझ नहीं आया। डॉ. जयंत रॉय ( कुलभूषण खरबंदा ) के साथ गमगीन दृश्य भी अजीब लगे। पुलिस अधिकारी कुणाल कपूर के हाथ कुछ नहीं आया। पूरी फिल्म में मौके का इंतजार करते रहे। फिल्म का गीत संगीत असर नहीं छोड़ता है, इसलिए ज्यादा उम्मीद से ना देखें, क्योंकि कहानी में नयापन नहीं है ।

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मैंने देवी अहिल्या विश्वविद्यालय इंदौर से जनसंचार एवं पत्रकारिता में स्नातक की पढ़ाई पूरी की है। मैं पत्रकारिता में आने वाले समय में अच्छे प्रदर्शन और कार्य अनुभव की आशा कर रही हूं। मैंने अपने जीवन में काम करते हुए देश के निचले स्तर को गहराई से जाना है। जिसके चलते मैं एक सामाजिक कार्यकर्ता और पत्रकार बनने की इच्छा रखती हूं।