विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने गुरुवार को साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और डोनाल्ड ट्रम्प के बीच भारत द्वारा रूसी तेल आयात पर किसी भी तरह की टेलीफोनिक बातचीत की जानकारी उनके पास नहीं है।
यह बयान उस समय आया जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें बताया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने एक बयान में दावा किया था की – “मोदी ने आश्वासन दिया कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा”

ट्रम्प ने गुरुवार को कहा,
“प्रधानमंत्री मोदी मेरे दोस्त हैं। हमारे रिश्ते बहुत अच्छे हैं। मैं भारत के रूस से तेल खरीदने से खुश नहीं था, लेकिन आज उन्होंने मुझे भरोसा दिया है कि भारत अब रूस से तेल नहीं खरीदेगा। यह एक बड़ा कदम है। अब हमें चीन को भी ऐसा ही करने के लिए तैयार करना होगा।”
अगस्त 2025 में, अमेरिका ने रूस से तेल आयात जारी रखने के कारण भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया था। पहले से लागू 25% शुल्क के साथ मिलाकर यह कुल 50% टैरिफ हो गया।
भारत ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा था कि उसकी प्राथमिकता भारतीय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा करना है।
विदेश मंत्रालय (MEA) का जवाब

रूस ने भारत के साथ ऊर्जा साझेदारी पर भरोसा जताया
रूस के उप प्रधानमंत्री अलेक्जेंडर नोवाक ने गुरुवार को कहा कि भारत के साथ ऊर्जा सहयोग जारी रहेगा। उन्होंने कहा,
“हम अपने मित्र देशों के साथ सहयोग जारी रखेंगे। हमारे ऊर्जा संसाधनों की मांग बनी हुई है, और यह आर्थिक रूप से लाभदायक भी है।”
रूस की और से यह बयान ट्रम्प के दावे के एक दिन बाद आया है।
राहुल गांधी का पीएम मोदी पर हमला
ट्रम्प के बयान के बाद कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व ट्विटर) पर पाँच आरोपों की पोस्ट की:
राहुल गाँधी ने कहा की प्रधानमंत्री मोदी डरे हुए हैं।
- पीएम मोदी ने ट्रम्प को तय करने और घोषणा करने दी कि भारत रूस से तेल नहीं खरीदेगा।
- बार-बार ट्रम्प नज़रअंदाज़ किए जाने के बावजूद, वे ट्रम्प को बधाई संदेश भेजते रहते हैं।
- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अमेरिका यात्रा रद्द।
- मिस्र ने शरम-अल-शेख सम्मेलन में हिस्सा नहीं लिया।
- नरेंद्र मोदी “ऑपरेशन सिंदूर” पर ट्रम्प के बयानों का भी विरोध नहीं करते।
भारत कैसे बना रूस के तेल का बड़ा खरीदार
फरवरी 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के कारण भारत की रूसी तेल पर निर्भरता बढ़ गई। जब यूरोप ने रूसी तेल खरीदना बंद किया, तो रूस ने अपना कच्चा तेल एशियाई देशों को देना शुरू कर दिया।
रिपोर्टों के अनुसार, 2021 में भारत रूस से केवल 0.2% तेल आयात करता था, लेकिन 2025 तक रूस भारत का सबसे बड़ा तेल आपूर्तिकर्ता बन गया, जो 1.67 मिलियन बैरल प्रति दिन यानी भारत की कुल तेल मांग का 37% की आपूर्ति कर रहा है।
भारत ने रूस से तेल खरीदना क्यों जारी रखा
अब सवाल ये उठता है कि पश्चिमी दबाव के बावजूद भारत ने कई कारणों से रूसी तेल आयात जारी क्यों रखा:
- सस्ता दाम: रूस ने शुरुआती दौर में प्रति बैरल $30 तक की छूट दी थी (अब यह घटकर $3–6 रह गई है)।
- लंबी अवधि के समझौते: भारतीय कंपनियाँ जैसे रिलायंस ने दिसंबर 2024 में 10 साल का अनुबंध किया था, जिसके तहत रोजाना 5 लाख बैरल की आपूर्ति तय है।
- कीमत स्थिरता: भारत की लगातार खरीदारी से वैश्विक तेल कीमतें स्थिर बनी रहीं। यदि भारत अचानक खरीद बंद कर दे, तो कीमतें बढ़ सकती हैं — जैसा कि मार्च 2022 में हुआ था जब कच्चे तेल का भाव $137 प्रति बैरल तक पहुँच गया था।
रूस के अलावा क्या विकल्प है भारत के पास?
यदि भारत रूसी तेल पर निर्भरता कम करता है, तो उसे अन्य देशों से आयात बढ़ाना होगा:
- इराक: भारत का दूसरा सबसे बड़ा तेल का आपूर्तिकर्ता है। (21% हिस्सेदारी)।
- सऊदी अरब: तीसरा सबसे बड़ा तेल का स्रोत (लगभग 15% या 7 लाख बैरल प्रतिदिन)
- अमेरिका: जनवरी से जून 2025 के बीच भारत ने 2.71 लाख बैरल प्रतिदिन आयात किया — पिछले वर्ष की तुलना में दोगुना।
- अफ्रीकी देश: नाइजीरिया समेत अन्य अफ्रीकी उत्पादक देश अब महत्वपूर्ण साझेदार बन रहे हैं।
- अन्य स्रोत: अबू धाबी का मुरबान क्रूड, गयाना, ब्राज़ील और लैटिन अमेरिकी देशों का तेल भी विकल्प के रूप में देखा जा रहा है, हालांकि ये तेल रूसी तेल से महंगे हैं।