खादी ने रच दिया इतिहास, कारोबार ने तोड़े सारे रिकॉर्ड!

एक वक्त था जब खादी सिर्फ आजादी की पहचान थी। लेकिन आज यह भारत की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने में बड़ी भूमिका निभा रही है। खादी जो कभी केवल नेताओं तक सीमित थी। अब इसका क्रेज आम आदमी में भी बढ़ रहा है। इसी का नतीजा है कि खादी ने इतिहास रच दिया है। कारोबार में रिकॉर्ड उछाल देखने को मिला है। खादी और ग्राम उद्योग उत्पादों की धूम मची हुई है।

खादी और ग्रामो उद्योग उत्पादों ने वित्त वर्ष 2024-25 में नया कीर्तिमान रच दिया है। स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार खादी और ग्राम उद्योग का कारोबार ₹170 करोड़ के पार हो गया है। यह अपने आप में एक ऐतिहासिक उपलब्धि है। सूक्ष्म लघु और मझोले उद्यम मंत्रालय यानी एमएसएमई मंत्रालय ने सोमवार को यह शानदार आंकड़े जारी किए हैं। खादी और ग्रामो उद्योग आयोग यानी केबीआईसी के अध्यक्ष मनोज कुमार ने वित्त वर्ष 204-25 के आंकड़े जारी किए हैं। 

सबसे पहले बात करते हैं बिक्री की। वित्त वर्ष 2013-14 में खादी और ग्राम उद्योग उत्पादों की बिक्री ₹3154 करोड़ थी। लेकिन 2024-25 में आंकड़ा पांच गुना से ज्यादा बढ़कर 1.7 लाख करोड़ के ऊपर पहुंच गया। यानी 11 सालों में बिक्री में 447% की जबरदस्त उछाल आई है। यह सिर्फ आंकड़ा नहीं है बल्कि भारत के ग्रामीण कारीगरों की मेहनत और देशवासियों के स्वदेशी प्रेम का सबूत है। खासकर खादी कपड़ों की बात करें तो इनकी बिक्री में 561% की बढ़ोतरी हुई है। 2013-14 में खादी कपड़ों की बिक्री ₹181 करोड़ थी जो 2024-25 में बढ़कर ₹7145 करोड़ हो गई है। यानी लोग अब खादी को सिर्फ कपड़ा नहीं बल्कि फैशन और स्टेटस सिंबल भी मान रहे हैं।

अब बात करते हैं उत्पादन की। खादी और ग्रामोद्योग उत्पादों का उत्पादन भी 11 सालों में चार गुना बढ़ गया है। 2013-14 में यह ₹26,109 करोड़ था जो 2024-25 में ₹16,599 करोड़ हो गया है। यानी उत्पादन में 347% की बढ़ोतरी खासतौर पर खादी कपड़ों का उत्पादन 811 करोड़ से बढ़कर 3783 करोड़ हो गया जो 366% की छलांग है। यह आंकड़े बताते हैं कि गांवों में कारीगर पहले से ज्यादा मेहनत और जोश के साथ काम कर रहे हैं।

इसके साथ-साथ खादी और ग्राम उद्योग ने रोजगार के मामले में भी कमाल कर दिया है। 2013-14 में इस सेक्टर में 1.3 करोड़ लोगों को रोजगार मिला था। लेकिन 204-25 में आंकड़ा 49.23% बढ़कर 1.94 करोड़ हो गया। यानी 64 लाख नए लोगों को नौकरी मिली। खास बात यह कि खादी के 5 लाख कारीगरों में 80% महिलाएं हैं। इन महिलाओं की मजदूरी 11 सालों में 275% बढ़ी है। जिनमें पिछले 3 सालों में ही 100 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। यह ग्रामीण भारत में महिलाओं की आर्थिक आजादी का शानदार उदाहरण है। 

अब बात करते हैं दिल्ली के खादी ग्राम उद्योग भवन की। कनोट प्लेस में स्थित यह स्टोर खादी का सबसे बड़ा केंद्र है। 2013-14 में इसका कारोबार ₹51.02 करोड़ था। लेकिन 204-25 में यह दोगने से ज्यादा बढ़कर 110.01 करोड़ हो गया। यानी 115% की बढ़ोतरी। लोग अब खादी के कपड़े, साड़ियां, शॉल और हैंडीक्राफ्ट खरीदने के लिए इस भवन में खूब आ रहे हैं। यह दिखाता है कि खादी अब सिर्फ गांव तक सीमित नहीं है बल्कि शहरों में भी फैशन का हिस्सा बन चुका है। 

केबीआईसी ने अब और बड़ा लक्ष्य रखा है। 2025-26 में वह ₹ लाख करोड़ की बिक्री का टारगेट लेकर चल रहा है। इसके लिए नए प्रोडक्ट, बेहतर मार्केटिंग और ज्यादा ट्रेनिंग प्रोग्राम शुरू किए जा रहे हैं। खासतौर पर प्रधानमंत्री रोजगार सजन कार्यक्रम यानी पीएमईजीपी ने 10.18 लाख से ज्यादा छोटे उद्यम स्थापित किए हैं। जिनमें ₹90 लाख लोगों को रोजगार मिला। ग्राम उद्योग विकास योजना का बजट भी 2021-22 के 25.65 करोड़ से बढ़कर 2025-26 में 60 करोड़ हो गया है।

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