भारत हर मोर्चे पर पाकिस्तान के साथ दुनिया की बड़ी आर्थिक महाशक्तियों को अपनी ताकत का एहसास करा रहा है। खासकर करेंसी मार्केट में भारत की ताकत में लगातार इजाफा देखने को मिल रहा है। अगर बात मौजूदा साल की करें तो पाकिस्तान की करेंसी डॉलर के मुकाबले में करीब 1% कमजोर हुई है। जबकि दूसरी ओर भारत रुपए में इजाफा देखने को मिला है।
इस साल भारतीय रुपए का डंका बज रहा है। साल 2025 के करीब-करीब 4 महीने पूरे हो चुके हैं। खास बात यह है कि रुपए ने इस 2025 को कई मायनों में अपने लिए खास बना लिया है। जहां जनवरी के महीने में रुपया अपने ऑल टाइम लोअर लेवल पर पहुंच गया था, वहीं से अब रुपया ना सिर्फ रिकवर हुआ बल्कि करीब 1% की तेजी के साथ मौजूदा साल में अपने पीक पर पहुंच गया है। रिपोर्ट है कि रुपए ने भारत-पाक टेंशन के बीच पूरे एशिया में डंका बजाते हुए डॉलर के मुकाबले में सबसे मजबूत करेंसी बनकर उभरने में कामयाबी पाई है।
साल 2025 भारतीय रुपए के लिए एक रोलर कोस्टर राइट की तरह रहा है। जनवरी में हमारा रुपया सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया था। लेकिन क्या आप यकीन करेंगे कि उसी रुपए ने जबरदस्त वापसी की है। अब यह साल के पीक पर है। मंगलवार यानी 29 अप्रैल को रुपया 27 पैसे की तेजी के साथ 84.95 के स्तर पर पहुंच गया। यह 2025 का सबसे ऊंचा स्तर है। सोमवार को भी रुपया 18 पैसे मजबूत होकर 85.23 पर बंद हुआ था। रुपए ने पाकिस्तान की करेंसी को भी धूल चटा दी है जो इस साल 1% कमजोर हुई है।
अब सवाल यह है कि रुपए की शानदार तेजी के पीछे क्या राज है? इसका पहला कारण है विदेशी फंड्स का जबरदस्त इनफ्लो। सोमवार को विदेशी संस्थागत निवेशकों यानी एफआई ने ₹2474.10 करोड़ के शेयर खरीदे। दूसरा भारत का मैन्युफैक्चरिंग और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन 3% बढ़ा है जो हमारी घरेलू मांग की ताकत दिखाता है। इसके अलावा ग्लोबल टेंशन में कमी भी रुपए के लिए फायदेमंद रही। अमेरिकी ट्रेजरी सचिव स्टॉक बेसेंट ने भारत और जापान के साथ अच्छी बातचीत के संकेत दिए हैं। और तो और चीन ने भी टेरिफ में छूट की पेशकश की है। जिससे ग्लोबल ट्रेड वॉर का डर कम हुआ है।
इन सब ने मिलकर रुपए को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। हालांकि जानकारों का कहना है कि भारत-पाकिस्तान के बीच अगर टेंशन और बढ़ा तो रुपए पर दबाव आ सकता है। फिर भी जिस तरह से हमारा रुपया पूरे एशिया में डंका बजा रहा है वो गर्व करने वाली बात है। रुपए की ताकत सिर्फ एशिया तक सीमित नहीं है। ग्लोबल करेंसी मार्केट में भी भारत की धमक सुनाई दे रही है। डॉलर इंडेक्स में हल्की तेजी के बावजूद रुपया अपनी मजबूती बरकरार रखे हुए है।
कुल मिलाकर ग्लोबल डिप्लोमेसी और ट्रेड टेंशन में कमी ने रुपए को मजबूती दी है। यानी भारत ना सिर्फ आर्थिक मोर्चे पर बल्कि कूटनीतिक मोर्चे पर भी अपनी ताकत दिखा रहा है।