भारत को ये दवा बनाएगी फार्मा का सुपरपावर?

आज भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा दवा उत्पादक देश है और जेनेरिक दवाओं के मामले में फार्मेसी ऑफ वर्ल्ड के नाम से जाना जाता है। भारतीय फार्मा कंपनियां अमेरिका, यूरोप, यूके, ब्राजील, फ्रांस जैसे बाजारों में अपनी मजबूत पकड़ बना चुकी हैं। 2030 तक इस सेक्टर का आकार 120 से 130 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है।

भारत में 3000 से ज्यादा दवा कंपनियां और 10,000 से ज्यादा मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स हैं। सरकार ने पीएलआई जैसी योजनाओं के जरिए आत्मनिर्भरता और ग्लोबल कंपटीशन को बढ़ावा दिया है। इससे ना सिर्फ दवाओं का उत्पादन बढ़ा है बल्कि रिसर्च एंड डेवलपमेंट को भी प्रोत्साहन मिला है। भारत में पेटेंट फाइलिंग और ग्रांटिंग की रफ्तार तेज हुई है। साल 2018 से जनवरी 2025 के बीच औसतन हर साल 40,800 पेटेंट फाइल हुए हैं और 48,000 पेटेंट ग्रांट किए गए हैं। 2024 में पेटेंट फाइलिंग और ग्रांटिंग दोनों में रिकॉर्ड स्तर देखा गया। फार्मा सेक्टर में भी पेटेंट्स की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिससे इनोवेशन को बढ़ावा मिल रहा है।

हाल ही में फार्मा सलाहकार और अमेरिका स्थित एलकोमेक्स जीबीए फार्मा ग्रुप के वैज्ञानिक सलाहकार संजय अग्रवाल ने एंटी एजिंग दवा के लिए पेटेंट मांगा है। उनका दावा है कि यह दवा सेल्यूलर स्तर पर उम्र बढ़ने के प्रभाव को रोकती है। त्वचा को बेहतर बनाती है और जीवन शक्ति को बढ़ाती है। संजय अग्रवाल के पास पहले से ही 42 से ज्यादा दवा फार्मूलेशन के पेटेंट हैं। यह एंटी एजिंग फार्मूलेशन दुनिया का पहला न्यूट्रासटिकल फार्मूला है। यह एंटी एजिंग की दवा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया से निपटने के तरीकों को फिर से डिफाइन कर रही है। 

हमारा नया फार्मुलेशन इस क्षेत्र की संभावनाओं को और बढ़ाएगा क्योंकि यह बढ़ती उम्र में होने वाले असर के खिलाफ लड़ाई में एक स्थाई प्रभाव डालने के लिए तैयार है। इस एंटी एजिंग फार्मूले के साथ अन्य किसी भी दवाई को दिया जा सकता है। इसके साथ कोई भी ड्रग इंटरेक्शन नहीं है। रिसर्च के अनुसार यह एंटी एजिंग फार्मूलेशन बिल्कुल सेफ है। इसका कोई टॉक्सिक व विड्रॉल इफेक्ट नहीं है। अगर भारत को एंटी एजिंग दवा का पेटेंट मिलता है तो यह देश को ग्लोबल फार्मा इनोवेशन के केंद्र में ला देगा। भारत सिर्फ जेरिक दवाओं के लिए ही नहीं बल्कि इनोवेटिव और हाई वैल्यू मेडिसिन के लिए भी पहचाना जाएगा। ऐसी दवाओं की ग्लोबल डिमांड काफी ज्यादा है।

पेटेंट मिलने के बाद भारत इन दवाओं का एक्सपोर्ट कर सकता है। जिससे निर्यात आय और विदेशी मुद्रा भंडार में भारी बढ़ोतरी की संभावना है। पेटेंट दवाओं से मिलने वाले रॉयल्टी और मुनाफे से कंपनियां रिसर्च और डेवलपमेंट में और निवेश करेंगी। इससे देश में फार्मा इनोवेशन का नया दौर शुरू होगा। नई तकनीकों और रिसर्च प्रोजेक्ट्स के चलते फार्मा प्रोफेशनल्स की मांग बढ़ेगी जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे। जिस तरह से भारत की फार्मा कंपनियों की विदेशी बाजारों में पकड़ मजबूत हो रही है।

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