जबलपुर: आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने गुरुवार दोपहर जबलपुर जिला अस्पताल (विक्टोरिया अस्पताल) में छापा मारकर साल 2009 से 2020 तक के कई दस्तावेज़ जब्त किए। इस कार्रवाई का नेतृत्व डीएसपी स्वर्णजीत सिंह धामी ने किया, जो इस मामले की जांच टीम के प्रमुख हैं।

वित्तीय गड़बड़ियों की शिकायत पर हुई कार्रवाई
जानकारी के अनुसार, यह छापा अस्पताल में वित्तीय अनियमितताओं की शिकायतों के बाद मारा गया है। सूत्रों ने बताया गया कि जांच एजेंसी द्वारा बार-बार दस्तावेज़ मांगे जाने के बावजूद, अस्पताल प्रबंधन ने जानबूझकर रिकॉर्ड उपलब्ध कराने में देरी और टालमटोल की।
स्वास्थ्य विभाग ने 17 आधिकारिक पत्रों की अनदेखी की
साल 2022 से 2025 के बीच EOW ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को 17 पत्र भेजकर इस मामले से जुड़ी जानकारी और दस्तावेज़ मांगे थे। लेकिन विभाग की ओर से न तो कोई दिया गया और न ही मांगी गई जानकारी उपलब्ध करवाई गई। इसके बाद, सिविल सर्जन की मौजूदगी में यह छापेमारी कार्रवाई की गई।
EOW सूत्रों का कहना है कि इस छापेमारी की कार्रवाई में स्वास्थ्य विभाग के कई वरिष्ठ अधिकारी जांच के दायरे में आ सकते हैं।

फर्जी डिग्री के आरोपों की भी जांच की संभावना
यह भी संदेह जताया जा रहा है कि यह छापेमारी की यह कार्रवाई अस्पताल कर्मचारियों द्वारा फर्जी शैक्षणिक डिग्रियों के ज़रिए नौकरी हासिल करने की शिकायतों से भी जुड़ा हो सकता है।
यह मुद्दा मध्यप्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान भी उठा था, जब कांग्रेस विधायक लखन घंघोरिया ने एक अस्पताल अधिकारी पर फर्जी योग्यता प्रमाणपत्र रखने का आरोप लगाया था। हालांकि, इन आरोपों की अभी तक आधिकारिक पुष्टि अभी नहीं हुई है।

औपनिवेशिक दौर की धरोहर है विक्टोरिया अस्पताल
साल 1876 में स्थापित विक्टोरिया अस्पताल जबलपुर का पहला बड़ा स्वास्थ्य संस्थान था, जिसका नाम रानी विक्टोरिया के नाम पर रखा गया था।
गौतलब है कि ब्रिटिश शासनकाल में, लाल रंग की इमारत ब्रिटिश अधिकारियों के इलाज के लिए और सफेद इमारत भारतीय मरीजों के लिए इस्तेमाल की जाती थी।
आज भी जिला अस्पताल इसी ऐतिहासिक परिसर में कार्यरत है और जबलपुर की चिकित्सा धरोहर के रूप में अपनी पहचान बनाए हुए है।