तो टेस्ला अब चीन या ताइवान पर नहीं बल्कि भारत पर भरोसा कर रही है? एलन मस्क की ईवी कंपनी अब भारतीय सेमीकंडक्टर कंपनियों से जुड़ने की तैयारी में है। टाटा से लेकर माइक्रोन और मुर्गप्पा ग्रुप तक टेस्ला के भारत में मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स के साथ बैठकें करने तक की खबरें सामने आ रही हैं। क्या भारत टेस्ला की सेमीकंडक्टर सप्लाई चेन का अगला बड़ा हब बन सकता है? क्या यह डील्स भारत के सेमीकंडक्टर मिशन को अब रफ्तार देने वाली है? यह आखिर सवाल क्यों उठ रहे हैं और यह खबरें क्यों उठ रही हैं? इसको आसान भाषा में पूरी डिटेल में समझने की कोशिश करेंगे।
चर्चा है कि एलन मस्क की अगुवाई वाली इलेक्ट्रिक व्हीकल कंपनी टेस्ला अब भारत में सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग से जुड़ी कंपनियों के साथ सीधी बातचीत कर रही है। जानकारी के मुताबिक टेस्ला ने अमेरिकी मेमोरी चिप निर्माता माइक्रोन मुंबई स्थित मुरगप्पा ग्रुप की सीजी सेमी और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें भी की हैं। जिससे भारत में सेमीकंडक्टर चिप्स की आपूर्ति को लेकर संभावनाएं तलाशी जा सके। यह कदम टेस्ला के उस रणनीतिक टारगेट का हिस्सा है जिसमें वह चीन और ताइवान जैसे पारंपरिक हब से यानी कि जो ऑलरेडी एक हब है टेस्ला के लिए उनसे हटकर सप्लाई चेन को डायवर्सिफाई करना चाहती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक करीब डेढ़ महीने पहले टेस्ला ने भारत में हाल ही में शुरू हुए तीन बड़े सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स के प्रतिनिधियों को बुलाकर पैकेजिंग प्लान, प्रोडक्शन टाइमलाइन और ऑपरेशनल डिटेल्स को समझने के लिए बैठक भी की थी।
इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोन की गुजरात स्थित यूनिट असेंबली और टेस्टिंग मैन्युफैक्चरिंग का काम संभाल सकती है जो ना केवल घरेलू बल्कि ग्लोबल मांग वैश्विक मांग को भी पूरा करने की क्षमता रखती है। वहीं सीजीएमई की बात करें जो कि सीजी पावर रेनसास और स्टार्स माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स का एक जॉइंट वेंचर है उसके एक आउटसोर्स सेमीकंडक्टर असेंबली एंड टेस्ट सर्विस को तैयार करने की भी खबर है। रेनसास इसका एंकर कस्टमर होगा लेकिन सीजीएमई दूसरी ग्लोबल कंपनियों को भी यह सर्विस देगी।
रिपोर्ट्स की अगर मानें तो Tata इलेक्ट्रॉनिक्स पहले से ही टेस्ला के साथ डील कर चुकी है और अब कंपनी भारत में ₹1000 करोड़ की लागत से गुजरात के धुलेरा में एक सेमीकंडक्टर फैब यूनिट और असम के मोरेगांव में ₹27,000 करोड़ की लागत से ओसाट सुविधा भी स्थापित कर रही है। सीजीएमई गुजरात के सांदन में ₹7600 करोड़ की लागत से अपनी यूनिट बना रही है वहीं माइक्रोन भी सारणंग में ₹3000 करोड़ की लागत से एटीएमपी यानी असेंबली टेस्टिंग मार्केटिंग एंड पैकेजिंग प्लांट लगा रही है।
एलन मस्क ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर एक पोस्ट भी किया था कि वह इसी साल भारत आने की योजना बना रहे हैं। जिससे इन सभी चर्चाओं को और भी ज्यादा बल मिल गया है। अब एक्सपर्ट्स का मानना है कि टेस्ला जैसे ग्लोबल प्लेयर अब चीन और ताइवान पर अपनी डिपेंडेंसी कम करना चाहते हैं। टेस्ला 2025 से ही नई सप्लाई चेन तैयार करने की योजना पर काम कर रही है और भारत इस रेस में एक मजबूत दावेदार बनकर उभर रहा है।
टेस्ला जैसी कंपनियां भारत जैसे नए उभरते सेमीकंडक्टर मार्केट की ओर देख रही हैं। अभी तक चीन की बीवाईडी जैसी कंपनियां खुद की सेमीकंडक्टर यूनिट्स चला रही हैं ऐसे में टेस्ला के लिए एक मजबूत और डायवर्सिफाइड सप्लाई चेन बनाना इस समय जरूरी हो गया है। जिससे वह लागत यानी कि कॉस्ट क्वालिटी और टाइम तीनों को संतुलित रख सके। हालांकि भारत को अभी भी स्केल और इकोसिस्टम डेवलपमेंट के मोर्चे पर मेहनत करनी होगी लेकिन अगर टेस्ला जैसी ग्लोबल ईवी लीडर भारत की सप्लाई चेन में शामिल होती है तो यह भारत के सेमीकंडक्टर मिशन के लिए गेम चेंजर साबित हो सकता है।