“बहुत जमी बहुत आसमान मिलेंगे तुम्हें, पर हमसे खाक के पुतले कहां मिलेंगे तुम्हें”। यह जो शेर है आईएएस ऑफिसर अशोक खेमका के लिए सटीक बैठता है। ईमानदारी का ऐसा मिसाल कायम किया कि ऑफिसर अपने कार्यकाल के दौरान 33 साल की नौकरी में 57 बार तबादले झेले उन्होंने। लेकिन अब अशोक खेमका का ट्रांसफर नहीं होगा क्योंकि खेमका 23 अप्रैल को रिटायर भी हो गए हैं। अब इस सब के बीच में जानना जरूरी यह है कि अशोक खेमका आखिर हैं कौन? क्यों सुर्खियों में आए थे और कब सुर्खियों में आए थे? हरियाणा आईएएस ऑफिसर एसोसिएशन के तरफ से अशोक खेमका के विदाई के लिए चंडीगढ़ में एक प्रोग्राम रखा गया।
खेमका को रिटायरमेंट से 5 महीने पहले आखिरी तबादला दिया गया था। और यह जो तबादला था वह हरियाणा सरकार के परिवहन विभाग का अतिरिक्त मुख्य सचिव इसी पद पर से वह अब रिटायर हो रहे हैं जो आखिरी बार उनका पद रहा। इससे पहले वह प्रिंटिंग और स्टेशनरी विभाग में तैनात थे। खेमका का यह 57वां तबादला है। मतलब 36 साल की नौकरी में 57 बार ट्रांसफर। अब सोचिए कि ईमानदारी में ऐसे भी होता है कि बदला बदला तबादला।
1991 बैच के आईएएस अधिकारी खेमका को उनके ईमानदारी और साहसी फैसलों के लिए जाना जाता है। खेमका की चर्चा तब खूब हुई थी जब उन्होंने रॉबर्ट वाड्रा लैंड डील को साल 2012 में रद्द किया था और तब उन्होंने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े गुरुग्राम जमीन सौदे के जो म्यूटेशन है उस म्यूटेशन को रद्द कर दिया था। उस समय हरियाणा में कांग्रेस की सरकार थी और अशोक खेमका ने हरियाणा में हुड्डा सरकार के कार्यकाल के दौरान रॉबर्ट वाड्रा और डीएलएफ के बीच में हुई जमीन सौदे का जो म्यूटेशन था उस म्यूटेशन को रद्द करने का आदेश जारी कर दिया था।
अपने तेजतर्रार और बेखौफ रवैया के चलते ब्यूरोक्रेसी में चर्चित अशोक खेमका का 30 अप्रैल 1965 को कोलकाता में जन्म हुआ। 1988 में आईआईटी खड़कपुर से कंप्यूटर साइंस और इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री ली। इसके बाद टाटा इंस्टट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च शॉर्ट में अगर कहें तो टीआईएफआर से कंप्यूटर साइंस में पीएचडी और बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन और फाइनेंस से एक्सपर्टीज के साथ-साथ एमबीए किया। अब मुंबई में कंप्यूटर साइंस में पीएचडी किया और साथ में एमबीए भी की। अब इन सबके बीच उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा दी और यूपीएससी का परीक्षा जो 1991 में दिया और इस बार वह आईएएस बन गए।
1991 बैच के आईएएस अधिकारी बने अशोक खेमिका जरूर 2012 में चर्चा में आए लेकिन राज्य में नेतृत्व परिवर्तन के बाद भी उनके तबादले रुके नहीं। जहां भी गए उनका तबादला होता रहा और इसके पीछे उनकी ईमानदारी और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस का हवाला भी दिया गया। पिछले साल दिसंबर में ही 10 साल बाद परिवहन विभाग में वह लौटे थे और इससे पहले 2014 में वह परिवहन आयुक्त के रूप में तैनात थे। तब उन्होंने बड़े वाहनों को फिटनेस सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया था। क्योंकि उसमें कई सारी खामियां थी। उनके इस फैसले से ट्रक चालकों ने हड़ताल भी की थी कि अशोक खेमिका ऐसे कर रहे हैं। ऐसे में तो कोई भी ट्रक चालकों को फिटनेस सर्टिफिकेट मिलेगा ही नहीं।
अब अपने करियर में 57 अलग-अलग पदों पर रह चुके हैं। 57 बार जो देखिए तो ट्रांसफर 33 साल के जॉब में। अब अपने तीन दशक लंबे करियर में खेमका का औसत हर 6 महीने में एक बार तबादला हुआ है। उनकी कई नियुक्तियां ऐसे विभागों में भी हुई जिन्हें लो प्रोफाइल या महत्वहीन माना जाता है। जिनमें से राज्य के अभिलेखागार विभाग में भी चार कार्यकाल उनका शामिल है। मतलब छोटे से छोटे पद में उनका ट्रांसफर कर दिया गया।
साल 2023 में अशोक खेमका ने सीएम खट्टर को पत्र लिखकर सतर्कता विभाग में एक पद पर काम करके भ्रष्टाचार को जड़ से मिटाने की पेशकश की। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए उन्होंने अपने करियर का बलिदान दे दिया। अब इस सब के बीच में अशोक खेमकार रिटायर हो रहे हैं तो उनकी चर्चा हो रही है। ईमानदारी का मिसाल दिया जा रहा है और कहा जा रहा है कि ऐसे ईमानदारी का मिसाल आखिर मिलेगा कहां और दूसरी बात ऐसे ईमानदार ऑफिसर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा।
इसी वजह से अशोक खेमका की चर्चा हो रही है। अब रिटायर्ड हो रहे हैं तो फिर अब ना उनका ट्रांसफर होगा ना छोटे बड़े पद कोई भी ओहदे नहीं बचा रह जाएगा। लेकिन उनकी ईमानदारी की चर्चा इतिहास में भी रहेगी और आगे भी ऐसे ही दर्ज रहेगी। चर्चा की जाएगी कि अशोक खेमका नाम के एक ऐसे ऑफिसर थे जो अपने जीवन में सबसे ज्यादा ट्रांसफर सहा लेकिन ईमानदारी को नहीं मिटा पाने में किसी के आगे झुके नहीं। ईमानदारी से उन्होंने काम किया।